नई दिल्ली: केंद्र ने फैसला किया है कि जो यूपीएससी परीक्षार्थी 2011 में सिविल सेवा परीक्षा में बैठने की योग्यता रखते थे या जिन्होंने पिछले तीन वर्षों (2012-14) में सिविल सेवा परीक्षा दी है, उन्हें इस साल अतिरिक्त मौका नहीं दिया जाएगा। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) ने निर्देश दिया था कि वह उस याचिका पर गौर करे जिसमें बदले हुए सिविल सेवा परीक्षा के पैटर्न के तहत उम्मीदवारों को नया मौका देने के लिए कहा गया है।
कैट के आदेश पर याचिका का निपटारा
कैट ने अक्तूबर में याचिका का निस्तारण करते हुए सरकार से कहा था कि वह चार सप्ताह के भीतर एक आदेश के साथ आए। यह निर्णय केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) द्वारा कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को इस बात का परीक्षण करने का निर्देश दिए जाने के बाद आया है कि क्या उम्मीदवार जो 2011 की परीक्षा में बैठने के योग्य थे या 2012, 2013 या 2014 की परीक्षा में बैठे उन्हें बदले हुए पैटर्न के साथ इस साल की परीक्षा में बैठने का एक और मौका दिया जाना चाहिए।
परीक्षा का अतिरिक्त मौका पाने के हकदार नहीं उम्मीदवार
डीओपीटी के एक आदेश में कहा गया है, ‘सभी तथ्यों का विश्लेषण करने के बाद यह फैसला किया गया है कि यह उम्मीदवार सिविल सेवा परीक्षा में बैठने के लिए अतिरिक्त मौका दिए जाने के हकदार नहीं हैं।’ डीओपीटी ने कहा कि 2015 में जो बदलाव किए गए उससे परीक्षार्थियों को कोई नुकसान नहीं हुआ क्योंकि इसने सामान्य अध्ययन पेपर-2 को महज क्वालिफाइंग बना दिया।
पैटर्न बदलने के कारण मांगा था अतिरिक्त अवसर
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) आईएएस, आईएफएस और आईपीएस अधिकारियों का चयन करने के लिए प्रतिवर्ष सिविल सेवा परीक्षा लेता है। यह परीक्षा तीन चरणों -(प्रारंभिक, मुख्य और साक्षात्कार) में होती है। यूपीएससी ने 2011 में प्रारंभिक परीक्षा के स्वरूप में संशोधन किया था और वैकल्पिक विषय की जगह एप्टीट्यूड की जांच के लिए सामान्य अध्ययन द्वितीय प्रश्न पत्र शुरू किया था। चूंकि परीक्षा के स्वरूप में बदलाव हुआ था इसलिए सिविल सेवा परीक्षा 2011 में बैठने वाले अनेक उम्मीदवारों ने आरोप लगाया कि उन्हें तैयारी का पर्याप्त समय नहीं मिला और उन्होंने नए पैटर्न का विरोध किया।
सरकार ने संसद में दिया था आश्वासन
सरकार ने पिछले साल अगस्त में 2011 के उम्मीदवारों को इस साल एक अतिरिक्त प्रयास देने के संबंध में संसद में आश्वासन दिया था। उसके बाद डीओपीटी ने एक आदेश जारी किया था। इस फैसले से असंतुष्ट होकर कैट में एक आवेदन दाखिल किया गया जिसमें सरकार को निर्देश देने की मांग की गई कि इस साल उन परीक्षार्थियों को अतिरिक्त प्रयास देने की अनुमति देने को कहा गया जो 2011 की परीक्षा में नहीं बैठे थे लेकिन बाद के वर्षों में परीक्षाओं में बैठे या जिन्होंने 2011 की परीक्षा के लिए आवेदन किया था।
बदले पैटर्न के लिए तैयारी का पर्याप्त मौका मिला
कैट ने याचिका का इस निर्देश के साथ निस्तारण कर दिया था कि डीओपीटी इस पर आदेश की प्रति मिलने के चार सप्ताह के भीतर फैसला करे। मामले पर विचार के बाद यह फैसला किया गया है कि जो उम्मीदवार 2012, 2013 और 2014 की सिविल सेवा परीक्षा में बैठे उन्हें 2011 से लागू सामान्य अध्ययन द्वितीय प्रश्न पत्र (एप्टीट्यूड टेस्ट) की तैयारी करने और उसके अनुरूप खुद को ढालने के लिए पर्याप्त समय मिला।
डीओपीटी ने कहा कि इसके अलावा ऐसे उम्मीदवारों को आयु और प्रयासों के संबंध में 2014 में लाभ मिला। डीओपीटी ने इस साल उन उम्मीदवारों को अतिरिक्त मौका नहीं देने का फैसला किया है। सरकार ने पिछले साल योग्यता शर्तों में संशोधन किया था जिससे आयु सीमा और प्रयासों की संख्या में ढील दी गई थी।